गुरुग्राम: फिर से बनाए जाएंगे चिंटल पैराडिसो के D, E, F, G और H टावर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- फ्लैट खाली करें
चिंटल पैराडिसो के निवासियों ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा कि हम चाहते हैं कि सभी टावरों का रीकंस्ट्रक्शन हो क्योंकि सभी लोग असुरक्षा के बीच जी रहे हैं। ऐसे में डी,ई,एफ, जी और एच के अलावा ए, बी, सी और जे टावरों का भी फिर से निर्माण किया जाए।
हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने चिंटल मामले में दिया फैसला
- टावरों के रीकंस्ट्रक्शन तक निवासियों को मिलेगा किराया
- रेंट के साथ होगा रीकंस्ट्रक्शन, प्रशासन तय करेगा रेंट
- जल्द ही मिल सकेगा फिर से निर्माण का अप्रूवल
गुरुग्राम: सेक्टर 109 स्थित चिंटल पैराडिसो के असुरक्षित 5 टावरों D, E, F, G और H में रहने वाले लोगों को फ्लैट खाली करने होंगे और इन टावरों का रीकंस्ट्रक्शन होगा। इसके शुरू होने के दिन से ही घर के बदले घर का विकल्प चुनने वाले निवासियों को बिल्डर द्वारा किराया दिया जाएगा। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला दिया है कि इन टावरों को गिराकर फिर से बनाया जाएगा। मनोज सिंह एंड अदर्स वर्सेस चिंटल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड केस में बिल्डर ने एक जनवरी को अपना जवाब कोर्ट में रखा था।
बिल्डर ने सात पॉइंट्स के अपने जवाब में फ्लैट धारकों की अतिरिक्त मांगों को गलत बताया था और मामले को खारिज करने की मांग की थी। ऐसे में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि इन टावरों को गिराकर बनाया जाए, प्रशासन अप्रूवल दे और निवासी असुरक्षित टावरों को खाली करें। बिल्डर ने अपने जवाब में फ्लैट ओनर्स को विकल्प में दी जाने वाली राशि को आसपास के प्रॉजेक्ट्स में सबसे अधिक बताया था। पैराडिसो के फ्लैट धारकों को 6500 रुपये प्रति स्क्वायर फुट के हिसाब से पैसे ऑफर किए हैं। अब टाइम बाउंड तरीके से फ्लैट को खाली करवा के विभिन्न अप्रूवल की प्रक्रिया के बाद टावरों का दोबारा से निर्माण होगा।
यह था पूरा मामला
10 फरवरी 2022 को सेक्टर 109 की चिंटल पैराडिसो सोसायटी के D टावर की छठी मंजिल की ड्रॉइंग रूम की छत गिर गई थी। इस हादसे में दो महिलाओं की मौत हो गई। घटना के बाद आईआईटी दिल्ली की जांच में टावर इंसानों के लिए रहने के लिहाज से असुरक्षित बताया था। इस सोसायटी के नौ में से पांच टावरों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया और प्रशासन द्वारा इन्हें गिराने के आदेश कर दिए गए। इन टावरों में से अधिकतर लोगों ने फ्लैट खाली कर दिए लेकिन कुछ परिवार हैं जो अभी भी इन टावरों में रह रहे हैं। प्रशासन और बिल्डर इस ओर काफी प्रयास कर रहे हैं कि टावरों में रहने वालों को कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए। निवासी बिल्डर से मांग कर रहे थे कि उन्हें मुआवजा दिया जाए। ऐसे में बिल्डर ने दो विकल्प दिए थे जिसमें एक तो घर के बदले घर के विकल्प में घर के निर्माण शुरू होने के दिन से किराया व वन टाइम शिफ्टिंग चार्ज देना और दूसरा 6500 रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से पैसा शामिल था। ऐसे में तकरीबन साठ प्रतिशत लोगों ने इन विकल्पों पर सहमति जताई थी। कुछ निवासी पैसा और किराया बढ़ाने की मांग की थी।
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